Mohenjo-daro civilization for UPSC, SSC CGL

Mohenjo-daro

(Mohenjo-daro) मोहनजोदड़ो 

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Mohenjo-daro  मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध नगर था। मोहनजोदड़ो का हिंदी भाषा में शाब्दिक अर्थ है मृतकों का टीला यह सिंध पाकिस्तान के लरकाना  जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित था। यह 125 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था यह नगर हड़प्पा से 483 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। मोहनजोदड़ो bhi हड़प्पा की तरह विकसित एवं व्यवस्थित नगर था। मोहनजोदड़ो से प्राप्त अवशेष हड़प्पा नगर के अवशेषों की तुलना में अधिक संरक्षित है। मोहनजोदड़ो की खोज 1922 ईस्वी में Rakhal Das Benerji ने की थी। इस नगर के व्यापक उत्खनन से सर जॉन मार्शल अर्नेस्ट मइके   , हर्ग्रीव्ज़ जी ऍफ़ देलस   ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। मोहनजोदड़ो नगर के साथ सदैव प्राप्त हुई है अतः पुरातत्व वेदों का अनुमान है कि मोहनजोदड़ो नगर सात बार बसा एवं उजड़ा।  

मोहनजोदड़ो एक उच्च कोटि की नगर योजना का उदाहरण प्रस्तुत करता है।यह दो भागों में विभाजित था इन्हें दुर्ग एवं Lower Town का नाम दिया गया है। दुर्ग में राजा एवं उसके अधिकारी रहते थे दुर्ग को काफी ऊंचाई पर मनाया गया तथा इसका कारण यह भी था कि यहां के भवन कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बने थे दुर्ग को  सुरक्षा हेतु एक विशाल दीवार से गहरा गया था। इसके अतिरिक्त इसके नीचे शहर से अलग भी किया गया था। इसलिए शहर को भी दीवार से गहरा गया था। वास्तव में मोहनजोदड़ो नगर योजना अनुसार एवं वैज्ञानिक ढंग से बनाया गया था। इस नगर की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित अनुसार थी-

भवन (Houses) – मोहनजोदड़ो के सभी  भवनों को एक विशेष योजना के अधीन बनाए गए थे इन भवनों को बाढ़ से सुरक्षा के कारण ऊंचे चबूतरे पर बनाया जाता था।   सभी भवन पक्के ईटों के बने हुए थे इन इंन्टो को धूप में सुखाया जाता था अथवा मिट्टी में पकाया जाता था यह एक एक निश्चित आकार की होती थी। इनकी लंबाई एवं चौड़ाई 4 गुनी एवं दोगुनी होती थी घरों की नींव को काफी गहरा रखा जाता था। सभी घर खुले एवं हवादार होते थे प्रत्येक घर के मध्य एक खुला आंगन होता था। इसके चारों और कमरे बने होते थे। आंगन का प्रयोग संभवत खाना पकाने एवं  कटाई के लिए किया जाता था। घरों में एकांत का विशेष ध्यान रखा जाता था। इसी कारण घरों का प्रवेश द्वार गलियों की ओर नहीं होता था। पता यहां से घर के आंतरिक भाग अथवा आंगन का सीधा अवलोकन नहीं होता था। इसके अतिरिक्त भूमि तल पर बनी दीवारों में खिड़कियां नहीं रखी जाती थी सभी घर में प्रकाश के लिए रोशनदान बना जाते थे। प्रत्येक घर में रसोईघर शौचालय एवं स्नानघर का उत्तम प्रबंध था। अधिकांश घरों में कुआं भी होता था मोहनजोदड़ो में कुल 700 कुआं के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं घरों से वर्षा एवं गंदे पानी के निकास के लिए नालियों का उत्तम प्रबंध था। धनी लोगों के घर प्राय दो मंजिले अथवा इससे भी बड़े होते थे। इनमें अनेक एवं बड़े कमरे होते थे दूसरी अथवा तीसरी मंजिल पर जाने के लिए दो अथवा लकड़ियों की सीढ़ियों के प्रमाण मिले हैं प्रसिद्ध इतिहासकार बीपी शाह तथा केएस मेहरा का यह कहना ठीक है कि

” संक्षेप में, विचार तथा प्रबंध इतने विशेष थे कि हर कोई देखकर चकित रह जाता है”

 

(Mohenjo-daro) विशाल स्नानागार (The Great Bath)-

मोहनजोदड़ो का सर्वाधिक उल्लेखनीय भवन विशाल स्नानागार है निसंदेह यह बहुत आश्चर्य की बात है कि आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व हड़प्पा निवासियों ने इतना विशाल स्नानागार किस प्रकार बनाया यह स्नान कर 180 फुट लंबा तथा 108 फुट चौड़ा है। इसके मध्य 39 फुट लंबा 23 फुट चौड़ा तथा 8 फुट  गहरा तालाब बना हुआ था। इस तालाब की दीवारों को फर्श की बनाए गए थे इस में प्रवेश करने के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी छोर ऊपर ईटों की सीढ़ियां बनाई गई थी। इस तालाब के निकट एक कौवा था जिससे इस तालाब में पानी भरा जाता था इस तालाब के गंदे पानी के निकास के लिए अलग नालियों का प्रबंध किया गया था इन तालाबों के चारों और बरामदे बने हुए थे। इन बारंदो के नीचे दो मंजिला कमरे थे ऊपर के कमरे संभवत पुजारियों के लिए थे। जबकि नीचे के कमरे जनसाधारण के लिए समझा जाता है कि लोग यहां विशेष त्यौहार पर स्नान करने के लिए आते थे कुछ विद्वानों ने स्नान कार को जलकृदघर भी माना है किंतु यह मत अधिक तार्किक प्रतीत नहीं होता

(Mohenjo-daro) अन्नागार (Granary)-

मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक अन्य प्रसिद्ध भवन अंडाकार था यह एक ऊंचे चबूतरे पर बना है। यह 45 पॉइंट 72 मीटर लंबा तथा 22 पॉइंट 86 मीटर चौड़ा है। इनमें ईटों के बने हुए 27 कमरे मिले हैं। इसमें हवा आने जाने तथा अन्य रखने एवं निकालने के लिए उत्तम व्यवस्था की गई थी।विद्वानों का विचार है कि यह राजकीय अन्ना गार था इसमें प्रजा से करवा के रूप में वसूला गया अनाज रखा जाता था।

(Mohenjo-daro) सड़कें (Roads)-

मोहनजोदड़ो की एक अन्य प्रमुख विशेषता उसकी सड़के थी। मोहनजोदड़ो की प्रमुख सड़क लगभग 10 मीटर चौड़ी थी इसे पुरातत्व की अदाओं ने राजपथ का नाम दिया था। चौड़ी सड़कों के कारण कई  बैल गाड़ियां एक  साथ समानांतर  चल सकती थी। यह सड़कें यद्यपि कच्ची थी किंतु उनकी सफाई की उत्तम व्यवस्था की गई थी मोहनजोदड़ो की एक सड़क पर टूटे बर्तन एवं इंट मिली है। इससे लगता है कि इस सड़क को पक्का बनाने की दिशा में प्रयोग किया जा रहा था। प्रत्येक सड़क के दोनों और रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया जाता था।

(Mohenjo-daro) नालियों की व्यवस्था (Drainage System) –

नालियों की उत्तम व्यवस्था मोहनजोदड़ो की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता है। यहां गंदे पानी के निकास के लिए नालियों की वैज्ञानिक ढंग से व्यवस्था की गई थी प्रत्येक घर में छोटी नालियां होती थी जो घरों के पानी को बाहर गली अथवा सड़के के किनारे बनी बड़ी नालियों के आकर गिरती थी। यह नालियां शहर के बाहर किसी बड़े नाले में जाकर गिरती थी।   यह नालियां ईंटों से बनाई जाती थी। इन नालियों को ईटों से इस प्रकार ढका जाता था कि सफाई करने के लिए उन्हें सुविधा पूर्वक हटाया जा सके। इन नालियों में किसी को भी कूड़ा आदि फेंकने की अनुमति नहीं थी। संक्षेप में नालियों की इतनी उत्तम व्यवस्था प्राचीन काल में किसी अन्य देश में नहीं मिलती प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ डीएन झा ने यह कहना पूर्णता ठीक है कि,

” नालियों की व्यवस्था हड़प्पा लोगों की शानदार सफलता में से एक थी तथा इससे अनुमान लगाया जाता है कि उस समय आवश्य ही किसी प्रकार की नगरपालिका अस्तित्व में होगी”

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