Solar System क्या है for all Classes

Solar System

(Solar System) सौरमंडल  

Solar System
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                Solar System क्या है ?

Solar System ही वर्तमान मैं एक ऐसा ग्रहमंडल है जिससे हम परिचित hai , अन्तरिक्ष में अन्य अनेक ग्रह-समुदायों का भी अस्तित्व नि:संदेह है। सौरमण्डल में स्वयं सूर्य, उसके 8 ग्रह, 4 बौने ग्रह, 62 उपग्रह, लगभग 2000 क्षुद्र ग्रह, अनेक धूमकेतु और उल्काएँ इत्यादि सम्मिलित हैं। ये सभी पिण्ड (bodies) सूर्य के चारों ओर अण्डाकार कक्षों (elliptical orbits) में परिक्रमा करते हैं। सूर्य हमारे सौरमंडल का मुख्य तारा है। सूर्य ही सौरमंडल का जनक तारा भी है। सूर्य से दूरी के अनुसार सौरमण्डल के 8 ग्रह बुध (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण (Uranus) तथा वरुण (Neptune) हैं। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि मध्य में पाए जाने वाले बृहस्पति तथा शनि ग्रह विस्तार में बड़े हैं और इन बड़े ग्रहों से किसी भी दिशा में जाने पर ग्रहों का विस्तार छोटा होता जाता है। लगभग सभी क्षुद्र ग्रहों के कक्ष मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के कक्षों के बीच में पड़ते हैं । छ: प्रमुख ग्रहों के अपने उपग्रह हैं जो कि अपना एक अलग उपमण्डल बनाते हैं। बुध और शुक्र ग्रहों के कोई उपग्रह नहीं हैं, पृथ्वी का एक उपग्रह है (चन्द्रमा) ; मंगल के दो छोटे उपग्रह हैं; बृहस्पति के 16 छोटे उपग्रह हैं; शनि के 20 तथा अरुण के 15 छोटे उपग्रह हैं; तथा वरुण के दो उपग्रह हैं जो अपेक्षतया बड़े हैं। अतः क्रमानुसार मध्य के दो सबसे बड़े ग्रहों से किसी भी दिशा में जाने पर उपग्रहों की संख्या कम होती जाती है, जबकि उनका सापेक्षिक विस्तार (relative size) बड़ा होता जाता है। सौरमंडल को जानने के लिए इस तथ्य का समझना महत्वपूर्ण है।

इन आठ ग्रहों में बुध (मरकरी) , शुक्र ( वीनस) , पृथ्वी( एअर्थ ) व मंगल भीतरी ग्रह ( Inner Planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह (Outer Planets) कहलाते हैं। पहले चार ग्रह ( बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ) पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं, क्योंकि ये ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों और धातुओं से बने हैं, कठोर है,और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले हैं। अन्य चार ग्रह ( शनि , बृहस्पति , अरुण तथा वरुण ) गैस से बने विशाल ग्रह हैं। इन्हें जोवियन ग्रह (Jovian Planets) भी कहते हैं। इनमें से अधिकतर पार्थिव ग्रहों से विशाल हैं और इनके गिर्द हाइड्रोजन व हीलियम से बना सघन वायुमण्डल है। भीतरी ग्रह पार्थिव हैं जबकि जोवियन ग्रह गैसीय हैं। पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर निम्न परिस्थितियों के कारण हो सकता है :-

 (i) पार्थिव ग्रह जनक तारे सूर्य के बहुत समीप बने जहाँ अत्यधिक तापमान के कारण गैसें संघनित नहीं हो पाईं और घनीभूत भी नहीं हो सकीं। जिस कारण प्रायः अधिक घनत्व वाले होते है। जोवियन ग्रहों की रचना अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर हुई अतः उनमें हल्के तत्त्व वितरित हो गये । ये प्रायः ग़ासिये रूप मैं होते है।


(ii) सौर पवन सूर्य के निकट अधिक शक्तिशाली थी। अतः पार्थिव ग्रहों से अधिक मात्रा में गैस व धूलकण उड़ा ले गई। जोवियन ग्रहों के निकट सौर पवन अधिक शक्तिशाली न होने के कारण वहाँ से गैसों को नहीं हटा पाई। 

(iii) पाथिव ग्रहों के छोटे होने के कारण उनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी कम रही जिसके फलस्वरूप इनसे निकली हुई गैस इन पर रुकी नहीं रह सकी ।

 

Solar Sytem के विभिन्न सदस्यों का विवरण 

सूर्य (Sun)—अन्तरिक्ष में पाये जाने वाले सभी तारों की भाँति सूर्य भी एक तारा है। पृथ्वी के सबसे निकट होने के कारेण सूर्य शेष तारों की अपेक्षा बहुत बड़ा दिखाई देता है। सूर्य की पृथ्वी से दूरी केवल 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है, जबकि शेष सभी तारों की पृथ्वी से दूरी कई-कई प्रकाश वर्ष (Light Years) 1 है। उदाहरणतया सूर्य के पश्चात् पृथ्वी के निकटतम तारा परोक्सिमा सैन्टोरी है, जिसकी पृथ्वी से दूरी लगभग 4 प्रकाश वर्ष (42 लाख करोड़ किलोमीटर) है। शेष तारों की भाँति सूर्य भी जलती हुई गैसों का एक बहुत बड़ा गोला है। सूर्य के तल का तापमान लगभग 6000° सेंटीग्रेड है। इसके आन्तरिक भाग का तापमान इससे भी अधिक है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि सूर्य के केन्द्र का तापमान लगभग 2,00,00,000° सेंटीग्रेड होगा । यह अपने ग्रहों, उपग्रहों, आवान्तर, पुच्छल तारे और उल्का आदि को प्रकाश तथा ताप प्रदान करता है ।

सूर्य  Solar Sytem का अध्यक्ष तथा सबसे बड़ा सदस्य है। इसका व्यास 13,92,000 किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास से 109 गुना है। पृथ्वी की तुलना में सूर्य का आयतन (Volume ) 13,00,000 गुना है, परन्तु भार पृथ्वी से केवल 3,33,420 गुना है, क्योंकि सूर्य का घनत्व पृथ्वी से एक चौथाई है। सूर्य हमें स्थिर दिखाई देता है, परन्तु पृथ्वी की भाँति इसकी भी दो महत्त्वपूर्ण गतियाँ हैं । यह अपने अक्ष पर लट्टू की भाँति परिभ्रमण करता है, परन्तु पृथ्वी की भाँति ठोस न होने के कारण इसके सारे भाग साथ-साथ नहीं घूमते । विषुवतीय भाग 25 दिन में और ध्रुवीय भाग 30 दिन में अपने अक्ष पर चक्कर पूरा करते हैं। सूर्य अपनी आकाश गंगा के केन्द्र के चारों ओर परिक्रमा भी करता है । एक परिक्रमा पूरी करने में सूर्य को 25 करोड़ वर्ष लगते हैं।

ग्रह (Planets)—ग्रह तारों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। ये प्रकाशहीन गोले हैं जो सूर्य से प्राप्त किये हुये प्रकाश से चमकते हैं। ये तारों की भाँति आकाश में जड़े हुये प्रतीत नहीं होते, अपितु एक तारासमूह (Constellation) से दूसरे तारासमूह की ओर चलते हुए प्रतीत होते हैं। तारों की अपेक्षा ग्रहों की पृथ्वी से दूरी कम होती है। पृथ्वी सहित सभी ग्रह सौरमण्डल के केन्द्र (सूर्य) के चारों ओर अण्डाकार पथों पर भ्रमण करते हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार सौरमण्डल के 8 ग्रह बुध (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण (Uranus) तथा वरुण (Neptune) हैं। बुध ग्रह सबसे छोटा तथा सूर्य के सबसे निकट है। बृहस्पति ग्रह सबसे बड़ा है । वरुण ग्रह सूर्य से सबसे दूर है। विस्तार के अनुसार ग्रहों के क्रम अग्रलिखित हैं । बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल और बुध ।

 

बुध (Mercury) – बुध ग्रह सबसे छोटा तथा सूर्य के सबसे समीप स्थित है । इसका व्यास केवल 4,975 किलोमीटर है। इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 5 करोड़ 75 लाख किलोमीटर है। सूर्य की परिक्रमा करते समय सूर्य से इसकी दूरी बहुत बदलती रहती है। इसकी सूर्य से अधिकतम दूरी निकटतम दूरी से लगभग दोगुनी है। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने तथा अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में इसे समान समय (88 दिन) लगता है। फलस्वरूप इस ग्रह का एक भाग सदैव सूर्य की ओर रहता है और एक भाग सदैव सूर्य से परे रहता है। दूसरे शब्दों में इसके आधे भाग में सदैव प्रकाश रहता है और आधे भाग में सदैव अन्धेरा । प्रकाश वाले भाग का तापमान लगभग 400° सेंटीग्रेड और अन्धेरे वाले भाग का तापमान लगभग – 170° सेंटीग्रेड रहता है। बुध ग्रह पर वायुमण्डल नहीं है। इसलिये इस ग्रह पर जीवन की कोई संभावना नहीं। इसका कोई उपग्रह भी नहीं है।

 

शुक्र (Venus)—सूर्य से दूरी के अनुसार दूसरा ग्रह शुक्र है । इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 10 करोड़ 75 लाख किलोमीटर है। विस्तार के आधार पर यह ग्रह छटे नम्बर पर है। इसका मध्यमान व्यास 12,330 किलोमीटर है। इस ग्रह का आकार और घनत्व पृथ्वी के लगभग समान है। यहाँ वायुमण्डल है, परन्तु इसकी रचना पृथ्वी के वायुमण्डल से बिल्कुल भिन्न हैं। इसके वायुमण्डल में अधिकतर कार्बन डाइऑक्साइड गैस है और ऑक्सीजन तथा जल वाष्प की बहुत कमी है। इसलिए इस ग्रह पर भी जीवन की कोई संभावना नहीं। इस ग्रह का भी कोई उपग्रह नहीं ।

सौरमण्डल के सभी सदस्यों में शुक्र सबसे चमकीला है। यह प्रायः प्रातःकाल सूर्य उदय से कुछ पहले पूर्व में और सायंकाल सूर्य अस्त के कुछ समय पश्चात् पश्चिम में दिखाई पड़ता है। इसलिए इसे प्रातः काल और सायंकाल का तारा भी कहते हैं।

 

पृथ्वी (Earth)—सौरमण्डल में पाये जाने वाले सभी सदस्यों में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर जीवन पाया जाता है। सूर्य से दूरी के अनुसार इसका तीसरा नम्बर है और इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है। विस्तार के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है और इसका मध्यमान व्यास 12,732 किलोमीटर है।

पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक अण्डाकार पथ पर 3654 दिन में एक चक्कर पूरा करती है और अपने अक्ष पर लगभग 24 घण्टे में चक्कर लगाती है। पृथ्वी का एक उपग्रह है जिसकी पृथ्वी से मध्यमान दूरी लगभग 3,83,200 किलोमीटर है।

 

मंगल (Mars)—यह पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह है जिसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 22 करोड़ 80 लाख किलोमीटर है। यह पृथ्वी और शुक्र दोनों से छोटा है और इसका मध्यमान व्यास केवल 6,770 किलोमीटर है। यह 241⁄2 घण्टे में अक्ष पर एक चक्कर पूरा करता है। पृथ्वी की भाँति इसका अक्ष भी इसके कक्ष तल पर झुका हुआ है, जिससे इस ग्रह पर भी पृथ्वी की भाँति सभी मौसम पाये जाते हैं। इसका वायुमण्डल पृथ्वी की अपेक्षा बहुत हल्का है। नक्षत्र विज्ञान की खोज से यह पता चला है कि इस ग्रह पर कुछ ऐसे चिह्न दिखाई देते हैं, जिनसे यह प्रतीत होता है कि पृथ्वी की भाँति इस ग्रह पर भी जीवन पाया जाता है। वास्तविक बात का ज्ञान तो इस ग्रह पर रॉकेट के पहुँचने पर ही लगेगा। इस ग्रह के दो उपग्रह hai 

 

बृहस्पति (Jupiter) – यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका मध्यमान व्यास 1,39,650 किलोमीटर है, पृथ्वी के व्यास का लगभग 11 गुना है। यदि बृहस्पति ग्रह के पृथ्वी के समान टुकड़े किये जाएँ तो इसके लगभग 1200 टुकड़े हो जाएँगे। यह ग्रह केवल 10 घण्टे में अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा कर लेता है, परन्तु सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 12 वर्ष लग जाते हैं। इस ग्रह पर भी वायुमण्डल है, परन्तु सूर्य से दूरी अधिक होने के कारण यह बहुत ठंडा है। इसलिए इस ग्रह पर जीवन की सम्भावना नहीं है। इस ग्रह के 16 उपग्रह हैं।

 

  ग्रहों सम्बन्धी कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

 

ग्रह

सूर्य से दूरी (किलोमीटर)

व्यास (व्याम) (किलोमीटर)

मर्क्यरी

57,909,227

4,879

वीनस

108,209,475

12,104

पृथ्वी

149,598,262

12,742

मंगल

227,943,824

6,779

जुपिटर

778,340,821

139,820

सातर्ण

1,426,666,422

116,460

यूरेनस

2,870,658,186

50,724

नेपच्यून

4,498,396,441

49,244

प्लूटो

5,906,376,272

2,377

 

शनि (Saturn)—यह बृहस्पति ग्रह से छोटा और अन्य ग्रहों से बड़ा है। इसका मध्यमान व्यास 1,15,165 किलोमीटर है। इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 14,265 लाख किलोमीटर है। यह ग्रह भी अपने अक्ष पर केवल 101⁄2 घण्टों में चक्कर पूरा करता है, परन्तु सूर्य की परिक्रमा में इसे 29 वर्ष लग जाते हैं। धीरे-धीरे चलने के कारण ही इसे शनिचर अर्थात् धीरे-धीरे चलने वाला कहते हैं। अब तो इससे भी धीरे चलने वाले ग्रहों का पता चल गया है। इस ग्रह के चारों ओर लगभग 15 किलोमीटर मोटा छल्ला पाया जाता है। इस ग्रह के 20 उपग्रह हैं। अति ठंडा होने के कारण इस पर भी जीवन नहीं पाया जाता।

अरुण (Uranus)—यह ग्रह सूर्य से 28,705 लाख किलोमीटर दूर है। इसका मध्यमान व्यास 51,035 किलोमीटर है। यह अपने अक्ष पर लगभग 11 घण्टों में चक्कर पूरा करता है, परन्तु सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 84 वर्ष लगते हैं। इसका अक्ष कक्ष तल पर 98° के कोण पर झुका हुआ है। इसके 15 उपग्रह हैं।

वरुण (Neptune)—सूर्य से दूरी के अनुसार यह आठवाँ ग्रह है। इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी 44,965 लाख किलोमीटर हैं। इसका मध्यमान व्यास 50,070 किलोमीटर है। यह अपने अक्ष पर लगभग 16 घण्टों में चक्कर लगाता है, परन्तु सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने में इसे 165 वर्ष लग जाते हैं। इस ग्रह के आठ उपग्रह हैं।

बौने ग्रह (Dwarf Planets) – बौने ग्रह वे अन्तरिक्ष पिण्ड हैं जो ग्रहों से लगभग मिलते-जुलते हैं, परन्तु वे ग्रहों की परिभाषा के अनुसार खरे नहीं उतरते। प्लूटो के अतिरिक्त तीन अन्य अन्तरिक्ष पिण्डों कैरन (Charon), इरीस (Eris) तथा सीरीस (Ceres) को भी बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। इस प्रकार हमारे सौरमण्डल में कुल चार बौने ग्रह हैं।

कुबेर सौरमण्डल का सबसे महत्त्वपूर्ण बौना ग्रह है । इसका व्यास लगभग 2,360 किलोमीटर है। इसकी सूर्य से मध्यमान दूरी लगभग 58 करोड़, 656 लाख किलोमीटर है। इसके तीन चन्द्रमा हैं। ये तीन चन्द्रमा हैं कैरन (Charon), निक्स (Nix) तथा हाइड्रा (Hydra) |

कैरन प्लूटो के तीन चन्द्रमाओं में सबसे बड़ा है जिसे बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। इरीस (2003 यू बी-313) एक ऐसा अन्तरिक्ष पिण्ड है जिसका आकार प्लूटो से थोड़ा- लगभग 2,397 किलोमीटर है। इस प्रकार यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा बौना ग्रह hai

सीरीस सन् 1801 में खोजा गया पहला आवान्तर (Asteroid) है जो मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के बीच स्थित सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है।

उपग्रह (Satellites)— ग्रहों की भाँति उपग्रह भी प्रकाशहीन गोले हैं। ये भी सूर्य से प्राप्त किये हुए प्रकाश से चमकते हैं। सभी उपग्रह अपने-अपने ग्रहों के चारों ओर अण्डाकार पथों पर भ्रमण करते हैं । हमारे सौरमण्डल में कुल 62 उपग्रह हैं। सन् 1980 की खोजों से पहले हमें केवल 31 उपग्रहों का ही ज्ञान था । उन 31 उपग्रहों में से 12 उपग्रह बृहस्पति के, 9 ग्रह शनि के 5 उपग्रह अरुण के, दो-दो उपग्रह वरुण तथा मंगल के तथा एक उपग्रह हमारी पृथ्वी का था ।

नवीन खोजों के अनुसार बृहस्पति तथा शनि ग्रहों के क्रमशः 16 तथा 20 उपग्रह हैं और अरुण तथा वरुण के क्रमश: 15 तथा 8 उपग्रह हैं। इस प्रकार अब हमारे सौरमण्डल में उपग्रहों की कुल संख्या 62 हो गई है। पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा इन सब उपग्रहों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है । चन्द्रमा की पृथ्वी से मध्यमान दूरी लगभग 3,83,200 किलोमीटर है। पृथ्वी के निकट होने के कारण यह सूर्य के समान बड़ा दिखाई देता है । वास्तव में इसका विस्तार सूर्य से बहुत छोटा है। इसका व्यास केवल 3490 किलोमीटर है।

आवान्तर (Asteroids) – आवान्तर लघु ग्रह हैं

और केवल दूरदर्शी यन्त्र द्वारा ही देखे जा सकते हैं। हमारे सौरमण्डल में 2004 आवान्तर हैं। आवान्तर भी ग्रहों की भाँति सूर्य के चारों ओर अण्डाकार पथों पर भ्रमण करते हैं। इनके कक्ष-पथ विशेषकर मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के कक्ष-पथों के बीच पाये जाते हैं।

पुच्छल तारे (Comets) – ये लम्बी पूँछ वाले दुर्बल गोले हैं। ग्रहों की भाँति ये भी सूर्य के चारों ओर भ्रमण करते हैं

इस रूपा पदार्थों की बनी होती है जो सदैव सूर्य की विपरीत दिशा में रहती है।

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